White आसमान से मानो आग बरस रही है भट्टियों सी ये द | हिंदी Shayari

"White आसमान से मानो आग बरस रही है भट्टियों सी ये दीवारे तप रही है कैसे बिता लेती हैं वो घंटों किचन में सिर्फ वो जानती हैं कि रोटियां कैसे बन रही है कभी हसती है कभी मुस्कुराती है अपना गुस्सा सिर्फ आटा गूथने मे दिखाती है कितनी भी थकी हो, बीमार हो ये खाना सबको बड़े प्यार से खिलाती है सबको बेतहाशा गर्मी लग रही है तवे पर बेचारी उंगलियाँ जल रही है कैसे बिता लेती हैं वो घंटों किचन में सिर्फ वो जानती हैं कि रोटियां कैसे बन रही है गर्म खाने की सबकी ख्वाहिश रहती है बच्चो की अलग ही फरमाइश रहती हैं वक़्त तो लगता हैं सबको खुश करने मे काम जल्दी से निपटे उसकी कोशिश रहती हैं किचन मे AC/कूलर की कमी खल रही हैं पलको पर पसीने की बूँदे चल रही है कैसे बिता लेती हैं वो घंटों किचन में सिर्फ वो जानती हैं कि रोटियां कैसे बन रही है ©Vinay Mishra"

 White आसमान से मानो आग बरस रही है
भट्टियों सी ये दीवारे तप रही है
कैसे बिता लेती हैं वो घंटों किचन में
सिर्फ वो जानती हैं कि रोटियां कैसे बन रही है
कभी हसती है कभी मुस्कुराती है
अपना गुस्सा सिर्फ आटा गूथने मे दिखाती है
कितनी भी थकी हो, बीमार हो
 ये खाना सबको बड़े प्यार से खिलाती है
सबको बेतहाशा गर्मी लग रही है
तवे पर बेचारी उंगलियाँ जल रही है
कैसे बिता लेती हैं वो घंटों किचन में
सिर्फ वो जानती हैं कि रोटियां कैसे बन रही है
गर्म खाने की सबकी ख्वाहिश रहती है
बच्चो की अलग ही फरमाइश रहती हैं
वक़्त तो लगता हैं सबको खुश करने मे
काम जल्दी से निपटे उसकी कोशिश रहती हैं
किचन मे AC/कूलर की कमी खल रही हैं
पलको पर पसीने की बूँदे चल रही है
कैसे बिता लेती हैं वो घंटों किचन में
सिर्फ वो जानती हैं कि रोटियां कैसे बन रही है

©Vinay Mishra

White आसमान से मानो आग बरस रही है भट्टियों सी ये दीवारे तप रही है कैसे बिता लेती हैं वो घंटों किचन में सिर्फ वो जानती हैं कि रोटियां कैसे बन रही है कभी हसती है कभी मुस्कुराती है अपना गुस्सा सिर्फ आटा गूथने मे दिखाती है कितनी भी थकी हो, बीमार हो ये खाना सबको बड़े प्यार से खिलाती है सबको बेतहाशा गर्मी लग रही है तवे पर बेचारी उंगलियाँ जल रही है कैसे बिता लेती हैं वो घंटों किचन में सिर्फ वो जानती हैं कि रोटियां कैसे बन रही है गर्म खाने की सबकी ख्वाहिश रहती है बच्चो की अलग ही फरमाइश रहती हैं वक़्त तो लगता हैं सबको खुश करने मे काम जल्दी से निपटे उसकी कोशिश रहती हैं किचन मे AC/कूलर की कमी खल रही हैं पलको पर पसीने की बूँदे चल रही है कैसे बिता लेती हैं वो घंटों किचन में सिर्फ वो जानती हैं कि रोटियां कैसे बन रही है ©Vinay Mishra

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