"विश्व आदिवासी दिवस "
अनमोल दिवस है यह विश्व के सम्पूर्ण आदिवासियों के उचित सम्मान की ,
विशेष दिन है यह विश्व के सारे जनजातियों के विशिष्ट पहचान की ,
महत्वपूर्ण पहल है ये दिन दिलाने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की।
चूंकि जल जंगल जमीन के संरक्षक है आदिवासी,
प्राचीन काल के ये है निवासी,
है नहीं ये प्रवासी।
पहचाने जाते हैं ये अपनी विशेष वेष-भूषा से,
जाने जाते हैं अपनी भाषा, परंपरा एवं संस्कृति से,
रखते नहीं घृणा किसी से, मिलजुल कर रहते है प्रेम से।
परंतु आदिवासियों पर हो रहे शोषण, भेदभाव एवं अत्याचार,
को रखकर इसको मध्य नजर,
संयुक्त राष्ट्र संघ ने किया मुख्य विचार,
कि इन्हें भी मिले उचित मान-सम्मान ,
मूलभूत अधिकारों का ना हो हनन,
परिणाम स्वरुप रखा गया यह दिन।
बावजूद इसके आज भी आदिवासी समुदाय पर हो रही है इतनी दमन,
इसलिए आज सभी को लेना है प्रण,
कि चलने वाला नहीं है केवल करने से नाच गान ये मन मे कर ले स्मरण।
लड़ना पड़ेगा हमे अपने अधिकारों के लिए विवेक एवं ज्ञान से,
करना पड़ेगा आंदोलन बौध्दिक रूप से,
ताकि हम जीवन जी सके आन बान व शान से ,
हम रह सके गौरवपूर्ण तरीके से।
©__expression__of__Cyprian
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