फ़ोन पे बात कर के भी रोने लग जायेगी
पर मेरे घर पहुँचते ही चिल्लायेगी
नालायक, आते ही मेरे घर को फैला दिया
मेरे इस घर को तेरा होस्टल रूम बना दिया
तू घर ही मत आया कर,
इस से अच्छा वही पे ही रुक जाए कर।
कामचोर, तेरी मां नही, काम वाली बाई लगती हूँ
ठंडा पानी पीता तू है, बॉटल्स में भरा करती हूँ।
शर्मा जी के लड़के को देख, 11 बजे सो जाता है और 6 बजे उठ जाता है
अब माँ को को बताये, उस को गेम ऑफ थ्रोन्स समझ नही आता है।
यह बेकार सा जीन्स, इतना महंगा और इस का कलर देख कैसा है
हाआआ, अब मेरे से क्यो पूछेगा, कमाने लग गया, तेरा अपना पैसा है।
मेरी ख्वाहिशों ने उस की जरूरतों को भी कम किया
मेरे दर्द ने, मेरे गुस्से ने, और मेरी खुशी ने भी उस की आंखों को नम किया ।।
©sourabh nuwal
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