🍵🍵मेरा पसंदीदा चाय ☕☕
संगीत के सात सुर,और चाय के सात घूँट जैसे नई जिंदगी दे देते हैं।
चाय का पहला घूँट मेरे गले को तरावट देता है, दूसरा अकेलेपन को खत्म करता है।
तीसरा घूँट पीते ही मुझे आत्मा की प्राप्ति होती है, चौथे घूँट से मेरे दुःखो की ऐसी-तैसी होने लगती है।
पाँचवा घूँट मेरी हड्डियों, मांसपेशियों को अहसास देने लगता है। छठा घूँट जैसे ताजी हवा का झोंका हो जो मेरे तनबदन को सुकून दे रहा हो।
और साँतवा घूँट पीते ही जैसे मैं अमरत्व प्राप्त की हुई आत्माओं से बात करने में सक्षम हो जाता हूँ।
चाय की सूरत तो सब पहचानते हैं, लेकिन सीरत कम लोग ही समझ पाते हैं।
शुरुआत पीने से..सूरत पहचानने से..सीरत समझने से..सुकून तक का ये सफर।
चाय की बदौलत मिली कुछ बातें लोगों के लिए जिंदगी जीने का तरीका हो जाती है।
पता! नही चाय एक बहाना होती है या जरूरत?? कि अक्सर दिलों में एक हुक उठती है।
किसी से बात करने की, अपनी संवेदनायें बाँट लेने की।कभी-कभी आधी रात को मन होता है किसी अपने से बेसिर-पैर की बकवास करने को ताकि मन हल्का हो सके।
बात करते-करते सुबह हो जाये और फिर एक चाय पीते ही दुनिया भर की पॉजिटिविटी और खुशी से टेम्प्रेचर बढ़ जाये।
चाय गर्माहट देने वाला वो ही प्याला है, जो रिश्तों में गर्मजोशी भर देता है।
अंत! मे एक चाय फेस्टिवल तो चलता है मेरे अंदर,क्योंकि मैं हर पीने वाली चीज से ऊब सकता हूँ लेकिन चाय से नही।।
-✍️ अभिषेक यादव
©Abhishek Yadav
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