तेरे–मेरे बीच में,सिलसिला अब कुछ नही। जो बचा था थो | हिंदी Poetr

"तेरे–मेरे बीच में,सिलसिला अब कुछ नही। जो बचा था थोड़ा–सा,वो राब्ता अब कुछ नही। हर घड़ी अब मर रहे है सोचकर इस बहम को, जिसकी की थी आरजू,उसकी आरजू अब कुछ नही।। ©Rimpi chaube"

 तेरे–मेरे बीच में,सिलसिला अब कुछ नही।
जो बचा था थोड़ा–सा,वो राब्ता अब कुछ नही।
हर घड़ी अब मर रहे है सोचकर इस बहम को,
जिसकी की थी आरजू,उसकी आरजू अब कुछ नही।।

©Rimpi chaube

तेरे–मेरे बीच में,सिलसिला अब कुछ नही। जो बचा था थोड़ा–सा,वो राब्ता अब कुछ नही। हर घड़ी अब मर रहे है सोचकर इस बहम को, जिसकी की थी आरजू,उसकी आरजू अब कुछ नही।। ©Rimpi chaube

#आरज़ूअबकुछनहीं 💔
तेरे–मेरे बीच में,सिलसिला अब कुछ नही।
जो बचा था थोड़ा–सा,वो राब्ता अब कुछ नही।
हर घड़ी अब मर रहे है सोचकर इस बहम को,
जिसकी की थी आरजू,उसकी आरजू अब कुछ नही।।

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