तमन्ना है की भूल जाऊं
वो गुजरा साल पूरा
वो हादसों में गुजरी शाम
और बवाल पूरा
वो दिन जो खौफ के पहरे में उगा करते थे
और रात सर्द सन्नाटे में बीत जाती थी
अमन के नाम पर होती थी
रोज जंग नयी
इंसानियत भी हैवानों के गीत गाती थी
ये नया साल
वो सारे गम भुला सके न सके
अपनी खुशियों से दिल के दर्द
मिटा सकता है
भले न दे ये मुझको
मेरी मंजिल बेशक
मगर मंजिल का रास्ता तो
दिखा सकता है
मुझको उस राह का राही तो बना सकता है !!
नए वर्ष की अनन्त शुभकामनाएं 💖💖
#HappyNewYear2021
©Ambrish Thakur
#happynewyear2021