हम जीवन भर मुस्काएँगे ------------------- पीड़ा के | हिंदी कविता Video

"हम जीवन भर मुस्काएँगे ------------------- पीड़ा के सागर मंथन से उत्सव के मधुघट पाएंगे चाहे कण्ठ रुंधा हो फिर भी हम जीवन भर मुस्काएँगे यादों के जलते छालों पर भावों का मरहम धर देंगे जीवन के उघड़े घावों में शब्दों की हल्दी भर देंगे सरगम के छू लेने भर से ग़म के फोड़े भर जाएंगे चाहे कण्ठ रुंधा हो फिर भी हम जीवन भर मुस्काएँगे हालातों का गर्जन होगा चिंता की बिजली कौंधेगी शंका के तूफ़ान उठेंगे आंधी सपनों को रौंदेगी फिर भी धरती मुस्काएगी नभ में मेघ अगर छाएंगे चाहे कण्ठ रुंधा हो फिर भी हम जीवन भर मुस्काएँगे आँसू से धुलकर मुस्कानें शायद और निखर जाएँगी सूरज जलकर बुझ जाएगा फिर भी भोर सँवर जाएँगी पतझर के मारे ठूंठों पर वासंती मौसम आएंगे चाहे कण्ठ रुंधा हो फिर भी हम जीवन भर मुस्काएँगे गीत रचेंगी भीगी पलकें अधरों का विस्तार बढ़ेगा अन्तस् पिघलेगा पीड़ा से मुस्कानों से प्यार बढ़ेगा गाते-गाते जीने वाले हँसते-हँसते मर जाएंगे चाहे कण्ठ रुंधा हो फिर भी हम जीवन भर मुस्काएँगे शंकर कुशवाहा ©Shankar Kumar "

हम जीवन भर मुस्काएँगे ------------------- पीड़ा के सागर मंथन से उत्सव के मधुघट पाएंगे चाहे कण्ठ रुंधा हो फिर भी हम जीवन भर मुस्काएँगे यादों के जलते छालों पर भावों का मरहम धर देंगे जीवन के उघड़े घावों में शब्दों की हल्दी भर देंगे सरगम के छू लेने भर से ग़म के फोड़े भर जाएंगे चाहे कण्ठ रुंधा हो फिर भी हम जीवन भर मुस्काएँगे हालातों का गर्जन होगा चिंता की बिजली कौंधेगी शंका के तूफ़ान उठेंगे आंधी सपनों को रौंदेगी फिर भी धरती मुस्काएगी नभ में मेघ अगर छाएंगे चाहे कण्ठ रुंधा हो फिर भी हम जीवन भर मुस्काएँगे आँसू से धुलकर मुस्कानें शायद और निखर जाएँगी सूरज जलकर बुझ जाएगा फिर भी भोर सँवर जाएँगी पतझर के मारे ठूंठों पर वासंती मौसम आएंगे चाहे कण्ठ रुंधा हो फिर भी हम जीवन भर मुस्काएँगे गीत रचेंगी भीगी पलकें अधरों का विस्तार बढ़ेगा अन्तस् पिघलेगा पीड़ा से मुस्कानों से प्यार बढ़ेगा गाते-गाते जीने वाले हँसते-हँसते मर जाएंगे चाहे कण्ठ रुंधा हो फिर भी हम जीवन भर मुस्काएँगे शंकर कुशवाहा ©Shankar Kumar

#NationalSimplicityDay

People who shared love close

More like this

Trending Topic