ए वक्त जरा संभल जाने तो दे, बस डगमगाते संभल ही रही | हिंदी कविता

"ए वक्त जरा संभल जाने तो दे, बस डगमगाते संभल ही रही हूं, ज़रा सांस लेने तो लेने ही दे , ए वक्त ज़रा संभल जाने तो दे। उलझनों को एक ओर से सुलझा तो रही हूं, जरा समझ लेने ही दे, ज़रा ठहर जाने ही दे, ए वक्त ज़रा संभल जाने तो दे । आहे भर जानें घड़ी के लिए सही, जरा रफ्ता रफ्ता रास्तों मे चलने ही दे, ये रफ्तार तेरी मुझे कही खो न ले, ए वक्त ज़रा संभल जाने तो दे । न जाने कितने किस्सों के हिस्से मे, मेरे हिस्से के कितने हिस्से हो गए, तूने संभालने का मौका न दिया, न जाने कहा और कितनी राहों मे, मैंने खुद को खो दिया...... प्रेरणा युक्ता ©Prerana"Yukta""

 ए वक्त जरा संभल जाने तो दे,
बस डगमगाते संभल ही रही हूं,
ज़रा सांस लेने तो लेने ही दे ,
ए वक्त ज़रा संभल जाने तो दे।

उलझनों को एक ओर से सुलझा तो रही हूं,
जरा समझ लेने ही दे,
ज़रा ठहर जाने ही दे, 
ए वक्त ज़रा संभल जाने तो दे ।

 आहे भर जानें घड़ी के लिए सही,
जरा रफ्ता रफ्ता रास्तों मे चलने ही दे,
ये रफ्तार तेरी मुझे कही खो न ले, 
ए वक्त ज़रा संभल जाने तो दे ।

न जाने कितने किस्सों के हिस्से मे,
मेरे हिस्से के कितने हिस्से हो गए,
तूने संभालने का मौका न दिया,
न जाने कहा और कितनी राहों मे,
मैंने खुद को खो दिया......
                प्रेरणा युक्ता

©Prerana"Yukta"

ए वक्त जरा संभल जाने तो दे, बस डगमगाते संभल ही रही हूं, ज़रा सांस लेने तो लेने ही दे , ए वक्त ज़रा संभल जाने तो दे। उलझनों को एक ओर से सुलझा तो रही हूं, जरा समझ लेने ही दे, ज़रा ठहर जाने ही दे, ए वक्त ज़रा संभल जाने तो दे । आहे भर जानें घड़ी के लिए सही, जरा रफ्ता रफ्ता रास्तों मे चलने ही दे, ये रफ्तार तेरी मुझे कही खो न ले, ए वक्त ज़रा संभल जाने तो दे । न जाने कितने किस्सों के हिस्से मे, मेरे हिस्से के कितने हिस्से हो गए, तूने संभालने का मौका न दिया, न जाने कहा और कितनी राहों मे, मैंने खुद को खो दिया...... प्रेरणा युक्ता ©Prerana"Yukta"

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