चलो अच्छा है इश्क अधुरा रह गया
शायद जो पुरा हो जाता तो खत्म हो जाता
बातें बताई भी ढेर सारी, पर कुछ अनकहा रह गया
शायद जो कह देता तो जुदा हो जाता
ये हयात गंवा है कि तुझे भुला दिया
शायद जो याद रखता तो फ़ना हो जाता
अलग मंजील अलग राहा है
फिर भी हम दोनों यहां है
शायद जो रहमत-ए-खुदा ना होता
तो तु कहीं और, मैं कहीं और हो जाता।
चलो अच्छा है इश्क अधुरा रह गया
शायद जो पुरा हो जाता तो खत्म हो जाता
बातें बताई भी ढेर सारी, पर कुछ अनकहा रह गया
शायद जो कह देता तो जुदा हो जाता