इंसान इस दुनिया में टूट जाता है... तब थक कर ऊपरवा | हिंदी मोटिवेशनल Vi

"इंसान इस दुनिया में टूट जाता है... तब थक कर ऊपरवाले के सामने बैठ जाता है। काफी देर रोता है... मेरा कोई इंसान अपना नहीं इस दुनिया में... जो कि वो पहली बार वो.... अपने आप से ऊपरवाले के सामने... सच कह रहा होता... और वो पहली बार... जब सिर्फ वो ऊपरवाले को... अपना बोल रहा होता है। जो कि सच होता है। और फिर उस पहले सच के साथ उस इंसान का रिश्ता ऊपरवाले के साथ इतना अटूट हो जाता है। कि उस टूटे हुए इंसान को फिर कोई इंसान की बोल या तोल तोड़ नहीं पाता है। क्योंकि एकांत इंसान को आत्मविश्वासी और आत्मनिर्भर बना देता है। ©Di Pi Ka "

इंसान इस दुनिया में टूट जाता है... तब थक कर ऊपरवाले के सामने बैठ जाता है। काफी देर रोता है... मेरा कोई इंसान अपना नहीं इस दुनिया में... जो कि वो पहली बार वो.... अपने आप से ऊपरवाले के सामने... सच कह रहा होता... और वो पहली बार... जब सिर्फ वो ऊपरवाले को... अपना बोल रहा होता है। जो कि सच होता है। और फिर उस पहले सच के साथ उस इंसान का रिश्ता ऊपरवाले के साथ इतना अटूट हो जाता है। कि उस टूटे हुए इंसान को फिर कोई इंसान की बोल या तोल तोड़ नहीं पाता है। क्योंकि एकांत इंसान को आत्मविश्वासी और आत्मनिर्भर बना देता है। ©Di Pi Ka

#boatclub इंसान को एकांत इंसान को आत्मविश्वासी और आत्मनिर्भर बना देता है। #WoRasta

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