जब सब कुछ रुका सा था। तुम्हारे खयालात मेरे दिमाग म | हिंदी Love

"जब सब कुछ रुका सा था। तुम्हारे खयालात मेरे दिमाग में दौड़ रहे थे, यह तुम्हारे खयालात ही थे जो मेरा मुंह दुनिया से मोड़ रहे थे। जब सब कुछ रुका सा था । तुम मेरे दिल में मेरी धड़कनों के साथ चल रहे थे , नए जज़्बात जैसे इस दिल में पल रहे थे। जब सब कुछ रुका सा था। तुम्हारे ख्यालों में ही खोई थी मैं , न जाने कितने ही दिन रोई और कितनी ही रातें ना सोई थी मैं। जब सब कुछ रुका था । तुम्हारी हर बात याद आई, उस दौर में भी मेरी एक तरफा मोहब्बत ही काम आई। जब सब कुछ रुका था। एक बात सोच कर मन ही मन मुस्काई, काश यह मोहब्बत हकीकत बन जाए , बस एक दफा यह बात मन में आई। जब सब कुछ रुका सा था । दबे पांव यह ख्याल भी चला आया, होगी कुछ बेहतरी इसमें जो खुदा ने हमें अब तक ना मिलाया। अब जब कुछ रुका नहीं है ,दबा नहीं है ,छिपा नहीं है , जिंदगी की भाग दौड़ का आगाज़ हुआ, मेरे जज़्बातों ने फिर दिल को छुआ। जो जैसा है उसे वैसे ही रहने दो , अपनी एक तरफा मोहब्बत को दिल में ही छुपाओ, इसे दिल को किसी के सामने ना कहने दो । एक तरफा मोहब्बत दो तरफा प्यार से तो बेहतर है, क्योंकि इसमें शिकवे, शिकायतें नहीं यह बस मेरी ही रह बर है।। ©Shaheen Jameel"

 जब सब कुछ रुका सा था।
तुम्हारे खयालात मेरे दिमाग में दौड़ रहे थे,
यह तुम्हारे खयालात ही थे जो मेरा मुंह दुनिया से मोड़ रहे थे।

जब सब कुछ रुका सा था ।
तुम मेरे दिल में मेरी धड़कनों के साथ चल रहे थे ,
नए जज़्बात जैसे इस दिल में पल रहे थे।

जब सब कुछ रुका सा था।
तुम्हारे ख्यालों में ही खोई थी मैं ,
न जाने कितने ही दिन रोई और कितनी ही रातें ना सोई थी मैं।

जब सब कुछ रुका था ।
तुम्हारी हर बात याद आई,
उस दौर में भी मेरी एक तरफा मोहब्बत ही काम आई।

जब सब कुछ रुका था।
एक बात सोच कर मन ही मन मुस्काई,
काश यह मोहब्बत हकीकत बन जाए ,
बस एक दफा यह बात मन में आई।

जब सब कुछ रुका सा था ।
दबे पांव यह ख्याल भी चला आया,
होगी कुछ बेहतरी इसमें जो खुदा ने हमें अब तक ना मिलाया।

अब जब कुछ रुका नहीं है ,दबा नहीं है ,छिपा नहीं है ,
जिंदगी की भाग दौड़ का आगाज़ हुआ,
मेरे जज़्बातों ने फिर दिल को छुआ।


जो जैसा है उसे वैसे ही रहने दो ,
अपनी एक तरफा मोहब्बत को दिल में ही छुपाओ,
इसे दिल को किसी के सामने ना कहने दो ।

एक तरफा मोहब्बत दो तरफा प्यार से तो बेहतर है,
 क्योंकि इसमें शिकवे, शिकायतें नहीं यह बस मेरी ही रह बर है।।

©Shaheen Jameel

जब सब कुछ रुका सा था। तुम्हारे खयालात मेरे दिमाग में दौड़ रहे थे, यह तुम्हारे खयालात ही थे जो मेरा मुंह दुनिया से मोड़ रहे थे। जब सब कुछ रुका सा था । तुम मेरे दिल में मेरी धड़कनों के साथ चल रहे थे , नए जज़्बात जैसे इस दिल में पल रहे थे। जब सब कुछ रुका सा था। तुम्हारे ख्यालों में ही खोई थी मैं , न जाने कितने ही दिन रोई और कितनी ही रातें ना सोई थी मैं। जब सब कुछ रुका था । तुम्हारी हर बात याद आई, उस दौर में भी मेरी एक तरफा मोहब्बत ही काम आई। जब सब कुछ रुका था। एक बात सोच कर मन ही मन मुस्काई, काश यह मोहब्बत हकीकत बन जाए , बस एक दफा यह बात मन में आई। जब सब कुछ रुका सा था । दबे पांव यह ख्याल भी चला आया, होगी कुछ बेहतरी इसमें जो खुदा ने हमें अब तक ना मिलाया। अब जब कुछ रुका नहीं है ,दबा नहीं है ,छिपा नहीं है , जिंदगी की भाग दौड़ का आगाज़ हुआ, मेरे जज़्बातों ने फिर दिल को छुआ। जो जैसा है उसे वैसे ही रहने दो , अपनी एक तरफा मोहब्बत को दिल में ही छुपाओ, इसे दिल को किसी के सामने ना कहने दो । एक तरफा मोहब्बत दो तरफा प्यार से तो बेहतर है, क्योंकि इसमें शिकवे, शिकायतें नहीं यह बस मेरी ही रह बर है।। ©Shaheen Jameel

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