कोई क्या जाने क्या रस्ता हमारा, सो क्यों रोके कोई | हिंदी कविता

"कोई क्या जाने क्या रस्ता हमारा, सो क्यों रोके कोई रस्ता हमारा। हमीं हैं पाँव की जंज़ीर अपने, हमीं हैं रोकते रस्ता हमारा। आईना देखते थे रोज़ हम भी, तका करते थे वो चेहरा हमारा। अंधेरी रातों से वीराँ है अब हम, कभी होता था इक चन्दा हमारा। तिरी यादो की गर्मी से जाना , जला करता है अब सीना हमारा। ©MOEEN"

 कोई क्या जाने क्या रस्ता हमारा,
सो क्यों रोके कोई रस्ता हमारा।
हमीं हैं पाँव की जंज़ीर अपने,
हमीं हैं रोकते रस्ता हमारा।
आईना  देखते थे रोज़ हम भी,
तका करते थे वो चेहरा हमारा।
अंधेरी रातों से वीराँ है अब हम,
कभी होता था इक चन्दा हमारा।
तिरी यादो की गर्मी से जाना ,
जला करता है अब सीना हमारा।

©MOEEN

कोई क्या जाने क्या रस्ता हमारा, सो क्यों रोके कोई रस्ता हमारा। हमीं हैं पाँव की जंज़ीर अपने, हमीं हैं रोकते रस्ता हमारा। आईना देखते थे रोज़ हम भी, तका करते थे वो चेहरा हमारा। अंधेरी रातों से वीराँ है अब हम, कभी होता था इक चन्दा हमारा। तिरी यादो की गर्मी से जाना , जला करता है अब सीना हमारा। ©MOEEN

#nojotoLove #nojotoshayari

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