बंद आंखो में छिपी थी यादें जब खोली मै | हिंदी Poetry Video

"बंद आंखो में छिपी थी यादें जब खोली मैने खुद की खुद से फिर मुलाकात हो गयी भूल कर बैठी थी जिन बातों को मैं दिल से उन लम्हों से आज फिर - - - -थोड़ी सी बात हो गयी जी हां पुराने एहसास बेटियां जब मेंहन्दी लगे हाथ घर से बिदा होती है। पिता का प्यार, मां का दुलार अपनो का स्नेह - - - - - सब कुछ वही के वही रह जाते - - - - बस वो ही चली जाती है - - - - घर पर बनी पेटिंग पर अपना नाम - - - खामोशी से नर्म एहसासों की निशानिया छोड़ जाती है। याद रहता है अपना घर स्कूल का आंगन,मंदिर का द्वार। वो सैर सपाटो के नजारें दोस्तों की नटखटपन शरारतीयां ,मस्ती सब रह जाती - - - अपना चहकना,महकना अपना रोब जमाना बस अतीत के किस्से है। उन दिनों की नसीहत ससुराल में सभी को निभाना, बड़ो का सम्मान, छोटे को प्यार - - - - सभी को अपना बनाना - - - टी वी पर शादी की सी डी देखते,देखते पापा हट जाते जब बिदाई आती दुनियां का सबसे अविस्मरणीय क्षण पिता-पुत्री के प्यार का अनमोल पल - - - सारा बचपन अपने तकिये के अंदर दबा कर। जिम्मेदारी की चुनर ओढ़ चली आई। बस यह पोधा पिता के घर जन्म लेता और ससुराल की दहलीज पर जीवन यापन करता। काश बचपन फिर लोट आता - - - - - - ©Hiyan Kiran Chopda "

बंद आंखो में छिपी थी यादें जब खोली मैने खुद की खुद से फिर मुलाकात हो गयी भूल कर बैठी थी जिन बातों को मैं दिल से उन लम्हों से आज फिर - - - -थोड़ी सी बात हो गयी जी हां पुराने एहसास बेटियां जब मेंहन्दी लगे हाथ घर से बिदा होती है। पिता का प्यार, मां का दुलार अपनो का स्नेह - - - - - सब कुछ वही के वही रह जाते - - - - बस वो ही चली जाती है - - - - घर पर बनी पेटिंग पर अपना नाम - - - खामोशी से नर्म एहसासों की निशानिया छोड़ जाती है। याद रहता है अपना घर स्कूल का आंगन,मंदिर का द्वार। वो सैर सपाटो के नजारें दोस्तों की नटखटपन शरारतीयां ,मस्ती सब रह जाती - - - अपना चहकना,महकना अपना रोब जमाना बस अतीत के किस्से है। उन दिनों की नसीहत ससुराल में सभी को निभाना, बड़ो का सम्मान, छोटे को प्यार - - - - सभी को अपना बनाना - - - टी वी पर शादी की सी डी देखते,देखते पापा हट जाते जब बिदाई आती दुनियां का सबसे अविस्मरणीय क्षण पिता-पुत्री के प्यार का अनमोल पल - - - सारा बचपन अपने तकिये के अंदर दबा कर। जिम्मेदारी की चुनर ओढ़ चली आई। बस यह पोधा पिता के घर जन्म लेता और ससुराल की दहलीज पर जीवन यापन करता। काश बचपन फिर लोट आता - - - - - - ©Hiyan Kiran Chopda

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