ये कैसी इबारत है, इसे किसने बनाया है
सीख तो लिए, मगर सिखाना नही आया
नाराजगी उनकी, हाल-ए-दिल हमारा
सुन तो लिए, मगर सुनाना नही आया
खुदी में उलझे रहे, खुद ही को गले लगा के
गर्दिश में डूबे, जब तक किनारा नही आया
इबारत- बोली
खुदी- घमंड
गर्दिश- आवारापन
©Mahima Yadav..
part-2