जिन्दगी कीतनी बयस्त हो गया है की ।
अपने आप के लिये वक्त नही
हर खुशी है लोगो के दामन मे ।
पर एक हसी के लीये वक्त नही
दिन रात दौडती दुनिया मे ।
जिन्दगी के लिये वक्त नही
मां की लोरी का एहसास तो है ।
पर मां को मां कहने का वक्त नही
सारे रिश्तो को हम मार चुके ।
अब ईन्हे दफनाने के लिये वक्त नही
गैरो की क्या बात करे ।
जब अपनो के लिये वक्त नही
आंखो मे है नीदं बडी ।
पर सोने के लीये वक्त नही
दिल है गमो से भरा हूआ।
पर रोने के लिये वक्त नही
दिल मे बहूत बात है बताने के लीये ।
पर बताने के लीये वक्त नही
©Bheem Bheemshankar
बताने के लीये वक्त नही