ग़ज़ल नशा आदमी को ग़लाता रहा है ये कितनों | हिंदी Video

"ग़ज़ल नशा आदमी को ग़लाता रहा है ये कितनों की मैयत सजाता रहा है समय से जो पहले दिखे बेटा बूढ़ा वो चिंता पिता की बढ़ाता रहा है जो बनना था बेटा बुढ़ापे की लाठी वही रोज़ पी लड़खड़ाता रहा है भरी मांग जिसने लिए सात फेरे वही हमसफर दिल दुखाता रहा है पसीना बहा कर कमाता जो पैसा उसे वो जुए में लुटाता रहा है किए तूने जितने गुनाह चोरी चुपके खुदा की नज़र में तो आता रहा है ©Sangeeta Verma "

ग़ज़ल नशा आदमी को ग़लाता रहा है ये कितनों की मैयत सजाता रहा है समय से जो पहले दिखे बेटा बूढ़ा वो चिंता पिता की बढ़ाता रहा है जो बनना था बेटा बुढ़ापे की लाठी वही रोज़ पी लड़खड़ाता रहा है भरी मांग जिसने लिए सात फेरे वही हमसफर दिल दुखाता रहा है पसीना बहा कर कमाता जो पैसा उसे वो जुए में लुटाता रहा है किए तूने जितने गुनाह चोरी चुपके खुदा की नज़र में तो आता रहा है ©Sangeeta Verma

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