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आंखें मेरी बरसा करें,
सावन सदा है छाई यहां,
भीगी पलकें भीगी मैं भी,
बहती चली मैं आई यहां,
जग ये तेरी न है मेरी,
मेरी जग मूरत में तेरी,
डूबे मन की डूबी बूंदें,
खीच मुझको लाईं यहां।
सागर ये गहरी प्रेम की,
डूबी चली मै जाऊं यहां,
लहरें बना तेरे नाम की,
हर पल मै गीत गाऊं यहां,
मेरी मन राग सुन लो,
मुरली को इक और धुन दो,
गहरे रंग की गहराई में,
डूबी चली मै जाऊं यहां।
भूली खुद को जग ये भूली,
जाने कैसे आई यहां,
प्रियसि तेरी मै चली अब,
और न मेरा कोई यहां,
सांवरे की सूरत ये सांवरी,
हो के मै फिरती हूं बावरी,
ढूंढती मेरे श्याम को,
वर्षो सी हर पल रोई यहां।
©Sam
#Sunlo Zara saaware