White नहीं फूलते कुसुम मात्र राजाओं के उपवन में, अ | हिंदी Poetry

"White नहीं फूलते कुसुम मात्र राजाओं के उपवन में, अमित बार खिलते वे पुर से दूर कुञ्ज-कानन में। समझे कौन रहस्य ? प्रकृति का बड़ा अनोखा हाल, गुदड़ी में रखती चुन-चुन कर बड़े कीमती लाल जलद-पटल में छिपा, किन्तु रवि कब तक रह सकता है? युग की अवहेलना शूरमा कब तक सह सकता है? पाकर समय एक दिन आखिर उठी जवानी जाग, फूट पड़ी सबके समक्ष पौरुष की पहली आग। ©"SILENT""

 White नहीं फूलते कुसुम मात्र राजाओं के उपवन में,
अमित बार खिलते वे पुर से दूर कुञ्ज-कानन में।
समझे कौन रहस्य ? प्रकृति का बड़ा अनोखा हाल,
गुदड़ी में रखती चुन-चुन कर बड़े कीमती लाल

जलद-पटल में छिपा, किन्तु रवि कब तक रह सकता है?
युग की अवहेलना शूरमा कब तक सह सकता है?
पाकर समय एक दिन आखिर उठी जवानी जाग,
फूट पड़ी सबके समक्ष पौरुष की पहली आग।

©"SILENT"

White नहीं फूलते कुसुम मात्र राजाओं के उपवन में, अमित बार खिलते वे पुर से दूर कुञ्ज-कानन में। समझे कौन रहस्य ? प्रकृति का बड़ा अनोखा हाल, गुदड़ी में रखती चुन-चुन कर बड़े कीमती लाल जलद-पटल में छिपा, किन्तु रवि कब तक रह सकता है? युग की अवहेलना शूरमा कब तक सह सकता है? पाकर समय एक दिन आखिर उठी जवानी जाग, फूट पड़ी सबके समक्ष पौरुष की पहली आग। ©"SILENT"

# Hindi pantiya#I_surbhiladha @Satyaprem Upadhyay @T4_tanya_ @Naina @Sun Shine

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