गांव ने खो दी आत्मा
शहर होने मैं
बिडम्बना ये हैँ की
ना हो पाए शहर
ना हो पाए गांव
वो गांव तुम हो
मैं हूं, हम सब जो
दौड़ते हैं रोज
अपने जड़ को काट के
अस्मिता को कुचल के
एक अंधी दौड़ मैं
एक झूटी सभ्यता के शोर मैं
पेट भर जाता हैँ
गाल मैं रंग लगाने जैसा
काश जिंदगी भी रंगीन हो पाता!!
पर नहीं
मन का क्या
मिटपाता हैँ क्या वो खालीपन?
रहे पाते हो क्या तुम सदाबहार?
गर हाँ तोह
तुम नशे मैं हो
और झूठे हो
जिसका तुम्हे पता नहीं!
#dardedil Aryan Shivam Mishra Suman Zaniyan POETICPOOJA Gupta jii जादूगर Dayal "दीप, Goswami.. Anupriya Nidhika मañjü pãwãr Anwesha Rath Lipsita Palei Poonam Awasthi Isshu_singh Babu Luthra alam Satyajeet Roy Ravi vibhute Anil Yadav Anshu writer @suresh anjaan@suresh anjaan