जब अपने सब अंदाज़, खाली निकले..
तो उनके आंसू, भी घड़ियाली निकले..।
जब भी ज़िंदगी का, कोई सवाल किया तो..
उनके जवाब सब के सब सवाली निकले..।
अब भरोसा भी कोई, किसी पर क्या करे..
उजड़े हुए चमन के, कुसूरवार माली निकले..।
वो मिले थे हर बार हमसे, अजनबियों की तरह..
जाने क्यों हमारे लिए वो उम्रभर खाम–ख्याली रहे..।
वो दुनियादारी के अंदाज से, बेखबर ही रहे सदा..
जो किया नही उसी जुर्म के, वो इकबाली निकले..।
©Manpreet Gurjar
#लाइफ