कितनी खामोश और बेरंग है देखो उनकी मेहमानी मेरी रहत

"कितनी खामोश और बेरंग है देखो उनकी मेहमानी मेरी रहते जो दिल  में हैं  होती  नही बात  उनसे जुबानी मेरी मिलकर किसी रोज  पूछुंगा उस नसीब लेखक से ही मैं क्यूँ फुर्सत में  बैठ  लिखी बदनसीबी  की ये कहानी मेरी ©lalit tyagi"

 कितनी खामोश और बेरंग है देखो उनकी मेहमानी मेरी
रहते जो दिल  में हैं  होती  नही बात  उनसे जुबानी मेरी
मिलकर किसी रोज  पूछुंगा उस नसीब लेखक से ही मैं
क्यूँ फुर्सत में  बैठ  लिखी बदनसीबी  की ये कहानी मेरी

©lalit tyagi

कितनी खामोश और बेरंग है देखो उनकी मेहमानी मेरी रहते जो दिल  में हैं  होती  नही बात  उनसे जुबानी मेरी मिलकर किसी रोज  पूछुंगा उस नसीब लेखक से ही मैं क्यूँ फुर्सत में  बैठ  लिखी बदनसीबी  की ये कहानी मेरी ©lalit tyagi

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