White पहली बार कोई मुझसा मिला है
चल रहा एक नया सिलसिला है
बादल जो बिन बारिश बरसें हैं
मोहब्बत का ये ख़ूबसूरत सिला है
बंद खिड़की को खोला जब मैंने
बाग़ में वफ़ा का फ़ूल खिला है
मर्ज़-ए-इश्क़ की दवा हैं वो
बेवजह भला क्यों फ़ासला है
राह-ए-उल्फ़त में परेशान है दिल
ज़िंदगी से बस इतना सा गिला है.!
©नीरज कुमार
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