उसने कहा,
ताली बजाओ, थाली बजाओ
तुमने ताली बजाई,थाली बजाई
उसने कहा,
दिये जलाओ, टार्च जलाओ
तुमने दिये जलाए, टार्च जलाया
जब हजारों लोग
हजारों कोस पैदल चल रहे थे
वह चुप था और तुम भी चुप थे
जब पैदल यात्रा की थकान से
बेहोशी की नींद में सोये लोग
ट्रेन से कट कर मर रहे थे
तब वह चुप था और तुम भी चुप थे
जब अस्पताल में जगह नहीं थी
आँक्सीजन नहीं मिलने से
बच्चे, बूढ़े, जवान तड़प रहे थे, मर रहे थे
तब वह चुप था और तुम भी चुप थे
इतिहास उसको एक चालवाज
और तुम्हें दिमागी विकलांग के रूप में दर्ज करे तो
क्या आश्चर्य
©Rabindra Prasad Sinha
#अ आ