गीत :- न माँगू कभी मैं दुआ ज़िन्दगी की । खुदा दे मु | हिंदी कविता

"गीत :- न माँगू कभी मैं दुआ ज़िन्दगी की । खुदा दे मुझे अब सजा बन्दगी की ।। न मागूँ कभी मैं दुआ .. न जीवन कभी ये हमें रास आया । खिलौना समझकर सभी ने उठाया ।। जरूरत रही तो लिए फायदे सब । पता भी चला तो कहा दिल्लगी की ।। न माँगूँ कभी मैं दुआ... न भोले बनो अब सुनों गाँव वालों । जुबाँ पे कभी आप ताले न डालों ।। बहुत बेरहम है जहाँ ये हमारा । दिखाकर खुशी आँख में फिर नमी की ।। न माँगूँ कभी मैं दुआ... मिला ज़िन्दगी से सबक़ जो नया है । वही आज मेरे अधर से बयां है ।। छुपा कर चला था सभी से यहाँ गम । खबर ही नही थी प्रखर खुदकुशी की ।। न माँगूं कभी मैं दुआ.... न माँगूं कभी मैं दुआ ज़िन्दगी की । खुदा दे मुझे अब सजा ज़िन्दगी की ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR"

 गीत :-
न माँगू कभी मैं दुआ ज़िन्दगी की ।
खुदा दे मुझे अब सजा बन्दगी की ।।
न मागूँ कभी मैं दुआ ..
न जीवन कभी ये हमें रास आया ।
खिलौना समझकर सभी ने उठाया ।।
जरूरत रही तो लिए फायदे सब ।
पता भी चला तो कहा दिल्लगी की ।।
न माँगूँ कभी मैं दुआ...
न भोले बनो अब सुनों गाँव वालों ।
जुबाँ पे कभी आप ताले न डालों ।।
बहुत बेरहम है जहाँ ये हमारा ।
दिखाकर खुशी आँख में फिर नमी की ।।
न माँगूँ कभी मैं दुआ...
मिला ज़िन्दगी से सबक़ जो नया है ।
वही आज मेरे अधर से बयां है ।।
छुपा कर चला था सभी से यहाँ गम ।
खबर ही नही थी प्रखर खुदकुशी की ।।
न माँगूं कभी मैं दुआ....
न माँगूं कभी मैं दुआ ज़िन्दगी की ।
खुदा दे मुझे अब सजा ज़िन्दगी की ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :- न माँगू कभी मैं दुआ ज़िन्दगी की । खुदा दे मुझे अब सजा बन्दगी की ।। न मागूँ कभी मैं दुआ .. न जीवन कभी ये हमें रास आया । खिलौना समझकर सभी ने उठाया ।। जरूरत रही तो लिए फायदे सब । पता भी चला तो कहा दिल्लगी की ।। न माँगूँ कभी मैं दुआ... न भोले बनो अब सुनों गाँव वालों । जुबाँ पे कभी आप ताले न डालों ।। बहुत बेरहम है जहाँ ये हमारा । दिखाकर खुशी आँख में फिर नमी की ।। न माँगूँ कभी मैं दुआ... मिला ज़िन्दगी से सबक़ जो नया है । वही आज मेरे अधर से बयां है ।। छुपा कर चला था सभी से यहाँ गम । खबर ही नही थी प्रखर खुदकुशी की ।। न माँगूं कभी मैं दुआ.... न माँगूं कभी मैं दुआ ज़िन्दगी की । खुदा दे मुझे अब सजा ज़िन्दगी की ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :-
न माँगू कभी मैं दुआ ज़िन्दगी की ।
खुदा दे मुझे अब सजा बन्दगी की ।।
न मागूँ कभी मैं दुआ ..
न जीवन कभी ये हमें रास आया ।
खिलौना समझकर सभी ने उठाया ।।
जरूरत रही तो लिए फायदे सब ।
पता भी चला तो कहा दिल्लगी की ।।

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