रटे थे कई सूत्र बड़ी शिद्दत से, समस्याए भी सुलझायी | हिंदी कविता

"रटे थे कई सूत्र बड़ी शिद्दत से, समस्याए भी सुलझायी थी और अंक भी पाए थे। आज वो कही बैठ नही रहे, समस्याए ना जाने कैसा मुँह लेकर खड़ी है और अंक तो नज़र ही नहीं आ रहे। लगता है इन सूत्रों को भूल जाना होगा, और बिन बात ही मुस्कुराना होगा। बदल जायेगा समस्याओ का चेहरा भी, अब खुद को ही आज़माना होगा। फिर से अंक जरूर मिलेंगे और साथ बेहतर ज़िन्दगी का सफरनामा होगा।"

 रटे थे कई सूत्र बड़ी शिद्दत से,
समस्याए भी सुलझायी थी
और अंक भी पाए थे।

आज वो कही बैठ नही रहे,
समस्याए ना जाने कैसा मुँह लेकर खड़ी है
और अंक तो नज़र ही नहीं आ रहे।

लगता है इन सूत्रों को भूल जाना होगा,
और बिन बात ही मुस्कुराना होगा।
बदल जायेगा समस्याओ का चेहरा भी,
अब खुद को ही आज़माना होगा।
फिर से अंक जरूर मिलेंगे
और साथ बेहतर ज़िन्दगी का सफरनामा होगा।

रटे थे कई सूत्र बड़ी शिद्दत से, समस्याए भी सुलझायी थी और अंक भी पाए थे। आज वो कही बैठ नही रहे, समस्याए ना जाने कैसा मुँह लेकर खड़ी है और अंक तो नज़र ही नहीं आ रहे। लगता है इन सूत्रों को भूल जाना होगा, और बिन बात ही मुस्कुराना होगा। बदल जायेगा समस्याओ का चेहरा भी, अब खुद को ही आज़माना होगा। फिर से अंक जरूर मिलेंगे और साथ बेहतर ज़िन्दगी का सफरनामा होगा।

#peace

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