आँखो में आँसू लेके
हम रह गए हाथ मलते मलते
वो एक लब्ज भी ना बोले
आखिरी बार चलते चलते
यूँ छुड़ाया हाथ हम से
फिर मिलाना सके
लाखों कोशिशो पर भी
फिर बुलाना सके
उगता सूरज राह निहारन बैठी
वो आया ना साम ढलते ढलते
आँखो में आँसू लेके
हम रह गए हाथ मलते मलते
©Thakur Netrapal singh
#sunrisesunset