डरा रही हो या जीना सीखा रही हो ऐ जिन्दगी... मेरे ख | हिंदी Poetry

"डरा रही हो या जीना सीखा रही हो ऐ जिन्दगी... मेरे खिलाफ़ ये कौन सी साज़िश रचा रही हो..? अगर मुझे रुलाना चाहती हो तो सुन लो इतनी आसानी से थोड़ी ना हार जाऊँगा मैं मुस्कराउंगा... हर बार मुस्कराउंगा ऐ जिन्दगी.... मुस्कराते हुए मैं तुझे हर बार हराउंगा..! ©Rishabh"

 डरा रही हो या जीना सीखा रही हो
ऐ जिन्दगी...
मेरे खिलाफ़ ये कौन सी साज़िश रचा रही हो..?
अगर मुझे रुलाना चाहती हो तो सुन लो
इतनी आसानी से थोड़ी ना हार जाऊँगा
मैं मुस्कराउंगा... हर बार मुस्कराउंगा
ऐ जिन्दगी....
मुस्कराते हुए मैं तुझे हर बार हराउंगा..!

©Rishabh

डरा रही हो या जीना सीखा रही हो ऐ जिन्दगी... मेरे खिलाफ़ ये कौन सी साज़िश रचा रही हो..? अगर मुझे रुलाना चाहती हो तो सुन लो इतनी आसानी से थोड़ी ना हार जाऊँगा मैं मुस्कराउंगा... हर बार मुस्कराउंगा ऐ जिन्दगी.... मुस्कराते हुए मैं तुझे हर बार हराउंगा..! ©Rishabh

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