अँधेरा बहुत है,अब सूरज निकलना चाहिये, जैसे भी हो य | हिंदी कविता

"अँधेरा बहुत है,अब सूरज निकलना चाहिये, जैसे भी हो ये मौसम बदलना चाहिए,और जो चेहरे रंग बदलते है,गिरगिटों कि तरह अब जनाजा धूम से उनका भी निकलना चाहिये। ©Sandeep KumarKol"

 अँधेरा बहुत है,अब सूरज निकलना चाहिये,
जैसे भी हो ये मौसम बदलना चाहिए,और जो चेहरे रंग बदलते है,गिरगिटों कि तरह
अब जनाजा धूम से उनका भी निकलना चाहिये।

©Sandeep KumarKol

अँधेरा बहुत है,अब सूरज निकलना चाहिये, जैसे भी हो ये मौसम बदलना चाहिए,और जो चेहरे रंग बदलते है,गिरगिटों कि तरह अब जनाजा धूम से उनका भी निकलना चाहिये। ©Sandeep KumarKol

अब जनाजा धूम से उनका भी निकलना चाहिये। ।

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