White इंसान जब तक जीवित रहता है
हर पल मोह में लिप्त रहता है
ये मेरा है इसके लिए ये करना है
और जब प्राण त्याग हर बंधन से आजाद होता है
अपने परिजनों के बीच ऐसे सोता है
किसीको नहीं पहचानता हैं
किसीसे उसका कोई सरोकार नहीं रहता है
जबकि जीवन भर उसे ख्याल नहीं आता हैं
कि ऐसे सबसे एक दिन नाते रिश्ते समाप्त होते हैं
आत्मा परमात्मा से मिलने को व्याकुल होती है
जीवन में कभी विचार नहीं आता हैं
मृत्यु के आगमन से सब खत्म होना है
अब जिसको जैसे रहना जैसे रहे
फिर किसीसे कोई मतलब नहीं रहता हैं
जीते जी इंसान भाग भी नहीं सकता जिम्मेदारी से
और भागना अपनी जिम्मेदारी से मूर्खता हैं
पर हम सब जीवन भर इतना मेरा मेरा करते हैं
हम सबको इतना अभिमान होता हैं
कि बस जीवन भर धन संचय करते चलते हैं
पर अंत में ये संचय उत्तम तरीके से संस्कार
और सम्मान पूर्वक विदाई के लिए ही काम आता है
बाकी ना कफन में जेब है
और ना कोई अपने साथ कुछ लेकर गया है
हाँ अन्य संचय अच्छे कर्मों का है या बुरे कर्मों का
वो हम सब इंसान पर है क्योंकि कर्म ही है
जो मृत्यु के बाद भी पीछा नहीं छोड़ते हैं
एक आत्मा है जो अजर अमर अविनाशी है
और मृत्यु जीवन का आखिरी संस्कार ही नहीं परम सत्य है।
©Priya Gour
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#19April 22:19