तुम सरस धार हो मन की प्रिये आधार हृदय का बन जाना

"तुम सरस धार हो मन की प्रिये आधार हृदय का बन जाना जब कभी धरा से उठ जाऊँ मैं नैनो से नीर ना तुम बहलाना हो फिक्र कभी जो मेरी तो मन ही मन तुम बस मुसकाना याद जो आये गुजरे वक़्त की बातें ना अपने मन को दुखलाना तुम सरस धार हो मन की प्रिये आधार हृदय का बन जाना ©Pandit Brajendra ( MONU )"

 तुम सरस धार हो मन की प्रिये
 आधार हृदय का बन जाना
जब कभी धरा से उठ जाऊँ मैं
 नैनो से नीर ना तुम बहलाना
हो फिक्र कभी जो मेरी तो 
मन ही मन तुम बस मुसकाना
याद जो आये गुजरे वक़्त की बातें
ना अपने मन को दुखलाना
तुम सरस धार हो मन की प्रिये 
आधार हृदय का बन जाना

©Pandit Brajendra ( MONU )

तुम सरस धार हो मन की प्रिये आधार हृदय का बन जाना जब कभी धरा से उठ जाऊँ मैं नैनो से नीर ना तुम बहलाना हो फिक्र कभी जो मेरी तो मन ही मन तुम बस मुसकाना याद जो आये गुजरे वक़्त की बातें ना अपने मन को दुखलाना तुम सरस धार हो मन की प्रिये आधार हृदय का बन जाना ©Pandit Brajendra ( MONU )

prem

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