White आज की तरह हमेशा तपन नहीं रही दर्मियाँ,
खुशनुमा पल मुस्कुराए है जिंदगी में हमारी।
खामोश अगर मैं रहता था महफिलों के दौरान,
चुप जुबां रहती, वीरानियां आखों में थीं तुम्हारी।
तेरे लिए मैं, मेरे लिए तुम आइना बन कर आ गए,
मन में कब, कैसे एक दूसरे की तस्वीर थी उतारी।
रंग उमंग के बिखरने लगे, बसंत से ये बहकने लगे,
बढ़ी धड़कन, सांसों से महकी दिल की क्यारी।
बदकिस्मती कहें कि, ये खेल है सितारों का,
रोक रहीं हैं पैरों को ‘बेतौल’, नागफनियां दोधारी।
अपना इश्क है शबनमी, यूं ही नहीं यादें मचलती हैं,
चूमते हैं हथेली अपनी, उसमें बसी छुअन है तुम्हारी।
©बोल_बेतौल by Atull Pandey
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