घर से निकल कर घर को लौट आता हूँ, यह रात। याद दिला | हिंदी कविता

"घर से निकल कर घर को लौट आता हूँ, यह रात। याद दिलाती है घर की। मां के प्यार की। पापा की डांट की। वह दादी मां की कहानियां। जो लगती थी बड़ी सुहानी। भाई की मस्ती और। बेना की हंसी। याद आता है मुझे घर। तो उठ बैठ लिखता हूं कुछ पल। लिखते लिखते रुक जाती है मेरी कलम। जब याद आती है मेरे खेत की फसल।"

 घर से निकल कर घर को लौट आता हूँ,  यह रात। याद दिलाती है घर की। मां के प्यार की। पापा की डांट की। वह दादी मां की कहानियां। जो लगती थी बड़ी सुहानी। भाई की मस्ती और। बेना की हंसी। याद आता है मुझे घर। तो उठ बैठ लिखता हूं कुछ पल। लिखते लिखते रुक जाती है मेरी कलम। जब याद आती है मेरे खेत की फसल।

घर से निकल कर घर को लौट आता हूँ, यह रात। याद दिलाती है घर की। मां के प्यार की। पापा की डांट की। वह दादी मां की कहानियां। जो लगती थी बड़ी सुहानी। भाई की मस्ती और। बेना की हंसी। याद आता है मुझे घर। तो उठ बैठ लिखता हूं कुछ पल। लिखते लिखते रुक जाती है मेरी कलम। जब याद आती है मेरे खेत की फसल।

#homeishome

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