तू बहार है, तो मैं आधार हूँ। तू नमक है, तो मैं भी | हिंदी शायरी

"तू बहार है, तो मैं आधार हूँ। तू नमक है, तो मैं भी खार हूँ। साथ-साथ सफ़र तय करेंगे, तू नदी, तो मैं उसकी धार हूँ। तेरे वास्ते धड़कता मेरा हृदय, गर तू नाव है, तो मैं पतवार हूँ। समझ न तू भी अपना रिश्ता, तू गीता है, तो मैं भी सार हूँ। बन गागर, छलका दे 'सागर', तू मौन है, तो मैं भी इंतज़ार हूँ।"

 तू बहार है, तो मैं आधार हूँ।
तू नमक है, तो मैं भी खार हूँ।

साथ-साथ सफ़र तय करेंगे,
तू नदी, तो मैं उसकी धार हूँ।

तेरे वास्ते धड़कता मेरा हृदय,
गर तू नाव है, तो मैं पतवार हूँ।

समझ न तू भी अपना रिश्ता,
तू गीता है, तो मैं भी सार हूँ।

बन गागर, छलका दे 'सागर',
तू मौन है, तो मैं भी इंतज़ार हूँ।

तू बहार है, तो मैं आधार हूँ। तू नमक है, तो मैं भी खार हूँ। साथ-साथ सफ़र तय करेंगे, तू नदी, तो मैं उसकी धार हूँ। तेरे वास्ते धड़कता मेरा हृदय, गर तू नाव है, तो मैं पतवार हूँ। समझ न तू भी अपना रिश्ता, तू गीता है, तो मैं भी सार हूँ। बन गागर, छलका दे 'सागर', तू मौन है, तो मैं भी इंतज़ार हूँ।

तू बहार है, तो मैं आधार हूँ।
तू नमक है, तो मैं भी खार हूँ।

#ऋषि_अग्रवाल #सूफ़ियाना_इश्क़_मेरा

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