चूल्हे की रोटी.... ” शहर की हलचल से दूर.. यहाँ मन | हिंदी शायरी

"चूल्हे की रोटी.... ” शहर की हलचल से दूर.. यहाँ मन को आराम है.. घर तो अपना गाव मे ही है जनाब.. शहर मे तो बस मकान है “ 😍😍😍 ©NEHAKRISHNA"

 चूल्हे की रोटी....

” शहर की हलचल से दूर..
यहाँ मन को आराम है..
घर तो अपना गाव मे ही है जनाब..
शहर मे तो बस मकान है “
😍😍😍

©NEHAKRISHNA

चूल्हे की रोटी.... ” शहर की हलचल से दूर.. यहाँ मन को आराम है.. घर तो अपना गाव मे ही है जनाब.. शहर मे तो बस मकान है “ 😍😍😍 ©NEHAKRISHNA

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#Winter @Anshu writer @motive shayar

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