शहर के शोर-शराबे में, गाडी में बंद शीशों की खामोशी | हिंदी Poetry

"शहर के शोर-शराबे में, गाडी में बंद शीशों की खामोशी, एक ग़ज़ल पढ़ रही थी, मैं सुन रहा था, मैं सुन रहा था l ©Akshit Soral"

 शहर के शोर-शराबे में, गाडी में बंद शीशों
की खामोशी, एक ग़ज़ल पढ़ रही थी,

मैं सुन रहा था, मैं सुन रहा था l

©Akshit Soral

शहर के शोर-शराबे में, गाडी में बंद शीशों की खामोशी, एक ग़ज़ल पढ़ रही थी, मैं सुन रहा था, मैं सुन रहा था l ©Akshit Soral

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