मौत का डर था या जीने का जुनून था। जो भी था उस नजार | हिंदी कविता

"मौत का डर था या जीने का जुनून था। जो भी था उस नजारे में एक सुकून था। पीएम के एक आवाहन पर लोगों ने घरों की लाइट बुझाई थी। "हम भारतवासी एक हैं", यह मैसेज दुनिया के हर कोने में पहुंचाई थी। मुझे नहीं मालूम इस महामारी से कौन निपट जाएगा। और कौन बच पाएगा। जो भी हो बचने वाले अपने आने वाले पीढ़ी को बताएंगे। हमने भी दीप जलाया था। सारे देशवासियों ने साथ में दिवाली मनाया था।।"

 मौत का डर था या जीने का जुनून था।
जो भी था उस नजारे में एक सुकून था।
पीएम के एक आवाहन पर लोगों ने घरों की लाइट बुझाई थी।
"हम भारतवासी एक हैं",
यह मैसेज दुनिया के हर कोने में पहुंचाई थी।
मुझे नहीं मालूम इस महामारी से कौन निपट जाएगा।
और कौन बच पाएगा।
जो भी हो बचने वाले अपने आने वाले पीढ़ी को बताएंगे।
हमने भी दीप जलाया था।
सारे देशवासियों ने साथ में दिवाली मनाया था।।

मौत का डर था या जीने का जुनून था। जो भी था उस नजारे में एक सुकून था। पीएम के एक आवाहन पर लोगों ने घरों की लाइट बुझाई थी। "हम भारतवासी एक हैं", यह मैसेज दुनिया के हर कोने में पहुंचाई थी। मुझे नहीं मालूम इस महामारी से कौन निपट जाएगा। और कौन बच पाएगा। जो भी हो बचने वाले अपने आने वाले पीढ़ी को बताएंगे। हमने भी दीप जलाया था। सारे देशवासियों ने साथ में दिवाली मनाया था।।

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