White फसानों के बेपनाह कशिश में दम तोड़ती मुहब्बतें
इबादते ,अदावतें बन गयी हैं
खामोशी लबों पर आकर गरजने लगी हैं
इन घटाओं की तरह,
दृग के झालर भींगकर सूखने लगे हैं ,
फसाने कहें किससे ?
मुख्तसर ,महबूब की नजरों के मायने बदलने लगे हैं!
ये वक्त की करवटें हैं
रिश्तों में बनती हर रोज सिलवटे हैं
कहें उनसे क्या ही हम
इबादतों ने मुकम्मल जहां
में अदावतों की फरमाइश की है
वक्त ,बे वक्त नुक्श निकालने में अपनी मर्जी जाहिर की है
जलन दीवानगी की नहीं
दिल में उठे जज्बातों की है
फसानों की इस तन्हा गरजती और लरजती बारिष में
इबादतें आज भी भींग रही और
उनकी अदावतें आज भी मयस्सर है
कहें किनसे कि हमें इस दर्द से बेपनाह मुहब्बत है।,
©Aditi Chouhan
#sad_shayari