White कदमों को ना जाने
किस मंजिल की तलाश हैं
लफ्ज़ निकलते नहीं
होठों को अल्फ़ाज़ों की प्यास हैं
भटकता फिर रहा हूँ दरबदर
मेरी रूह को भी सुकून मिलने की आश हैं
जिस्म तो हैं चलता फिरता मुसाफिर
मगर दिल मेरा इक जिन्दा लाश हैं
बहुत दूर चल आया यूँ तो चलते चलते मैं
फिर भी ना क्यूँ
कदमों को मेरे
किस मंजिल की तलाश हैं
©writer....Nishu...
#कौनसी मंजिल हैं किसकी तलाश हैं