प्यास" अकेली रातों में आंखे गीली कर, मैं मुस्कुरा | हिंदी शायरी

""प्यास" अकेली रातों में आंखे गीली कर, मैं मुस्कुराकर फिर एक बार वापस आया हूं, प्यासी नज़रों में एक ख़्वाब फिर से सजाकर लाया हूं, मेरी प्यासी धड़कनों को थाम फिर से गले लगाले मां... मैं फिर से एक बार खुदको हराकर वापस आया हूं...। ~लोकेश कुमार शर्मा~ ©Lokesh Kumar Sharma"

 "प्यास"
अकेली रातों में आंखे गीली कर, मैं मुस्कुराकर
 फिर एक बार वापस आया हूं,
प्यासी नज़रों में एक ख़्वाब फिर से सजाकर लाया हूं,
मेरी प्यासी धड़कनों को थाम फिर से गले लगाले मां...
मैं फिर से एक बार खुदको हराकर वापस आया हूं...।

~लोकेश कुमार शर्मा~

©Lokesh Kumar Sharma

"प्यास" अकेली रातों में आंखे गीली कर, मैं मुस्कुराकर फिर एक बार वापस आया हूं, प्यासी नज़रों में एक ख़्वाब फिर से सजाकर लाया हूं, मेरी प्यासी धड़कनों को थाम फिर से गले लगाले मां... मैं फिर से एक बार खुदको हराकर वापस आया हूं...। ~लोकेश कुमार शर्मा~ ©Lokesh Kumar Sharma

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