"नैन तेरे शिकार करते हैं
दिल हमारा फ़िगार करते हैं
ख़ूब-रू जब सिंगार करते हैं
आरसी पर बहार करते हैं
किसी बेदाद सूँ चमन में आज
फूल सारे पुकार करते हैं
ख़ुश-निगाह और बर में सब्ज़ लिबास
सर्व कूँ शर्मसार करते हैं
अहल-ए-दिल गिर्या-ए-नदामत सें
सैर अब्र-ए-बहार करते हैं
चश्म-ए-बद-दूर दिलबराँ सारे
अपने 'नक्श' कूँ प्यार करते हैं
©Jashvant
"