बदलते वक़्त बदलते मिज़ाज व बदलते हालात में, सुनो आज | हिंदी शायरी

"बदलते वक़्त बदलते मिज़ाज व बदलते हालात में, सुनो आज से मैं सिर्फ़ तुम पर यक़ीन कर रहा हूँ।। आज के बाद मिलेंगे तो बहुत लोग इस जहान में पर मैं तुम्हे सिर्फ़ और तुम्हे अपना कह रहा हूँ।। जिंदगी के हर साल के सभी महीनों के हर दिन में , मैं तुम्हारे साथ की आज तुमसे माँग कर रहा हूँ।। सात वचन और सभी हिन्दू रीति रिवाजों के साथ, अपने घर की बड़ी बहू बनाने की बात कर रहा हूँ।। बदलते वक़्त बदलते मौसम व बदलते मिज़ाज में, आज मैं तुमसे तुम्हारी जिंदगी की मांग कर रहा हूँ।। ©वात्सल्य श्याम "

 बदलते वक़्त बदलते मिज़ाज व बदलते हालात में,
सुनो आज से मैं सिर्फ़ तुम पर यक़ीन कर रहा हूँ।।

आज के बाद मिलेंगे तो बहुत लोग इस जहान में
पर मैं तुम्हे सिर्फ़ और तुम्हे अपना कह रहा हूँ।।

जिंदगी के हर साल के सभी महीनों के हर दिन में ,
मैं तुम्हारे साथ की आज तुमसे माँग कर रहा हूँ।।

सात वचन और सभी हिन्दू रीति रिवाजों के साथ,
अपने घर की बड़ी बहू बनाने की बात कर रहा हूँ।।

बदलते वक़्त बदलते मौसम व बदलते मिज़ाज में,
आज मैं तुमसे तुम्हारी जिंदगी की मांग कर रहा हूँ।।

©वात्सल्य श्याम

बदलते वक़्त बदलते मिज़ाज व बदलते हालात में, सुनो आज से मैं सिर्फ़ तुम पर यक़ीन कर रहा हूँ।। आज के बाद मिलेंगे तो बहुत लोग इस जहान में पर मैं तुम्हे सिर्फ़ और तुम्हे अपना कह रहा हूँ।। जिंदगी के हर साल के सभी महीनों के हर दिन में , मैं तुम्हारे साथ की आज तुमसे माँग कर रहा हूँ।। सात वचन और सभी हिन्दू रीति रिवाजों के साथ, अपने घर की बड़ी बहू बनाने की बात कर रहा हूँ।। बदलते वक़्त बदलते मौसम व बदलते मिज़ाज में, आज मैं तुमसे तुम्हारी जिंदगी की मांग कर रहा हूँ।। ©वात्सल्य श्याम

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