मिली ना भीख में हमको,कहे हैं लोग आजादी, किसी ने प् | हिंदी Poetry

"मिली ना भीख में हमको,कहे हैं लोग आजादी, किसी ने प्राण खोए हैं,किसी का लाल खोया है। लुटी बच्चों ,कि है बचपन,सुहागिन माँग सूनी की, भुलाई चैन कितनों ने,किसी की नींद छीनी है। सरल देना ,यहाँ भाषण,लगे आसान भी नारे, मुसीबत तब,यहाँ होती,लहु माँगे,अगर धरती। अहित ना देश का करना,भले हो पेट भी परती।। ©Bharat Bhushan pathak"

 मिली ना भीख में हमको,कहे हैं लोग आजादी,
किसी ने प्राण खोए हैं,किसी का लाल खोया है।
लुटी बच्चों ,कि है बचपन,सुहागिन माँग सूनी की,
भुलाई चैन कितनों ने,किसी की नींद छीनी है।
सरल देना ,यहाँ भाषण,लगे आसान भी नारे,
मुसीबत तब,यहाँ होती,लहु माँगे,अगर धरती।
अहित ना देश का करना,भले हो पेट भी परती।।

©Bharat Bhushan pathak

मिली ना भीख में हमको,कहे हैं लोग आजादी, किसी ने प्राण खोए हैं,किसी का लाल खोया है। लुटी बच्चों ,कि है बचपन,सुहागिन माँग सूनी की, भुलाई चैन कितनों ने,किसी की नींद छीनी है। सरल देना ,यहाँ भाषण,लगे आसान भी नारे, मुसीबत तब,यहाँ होती,लहु माँगे,अगर धरती। अहित ना देश का करना,भले हो पेट भी परती।। ©Bharat Bhushan pathak

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मिली ना भीख में हमको,कहे हैं लोग आजादी,
किसी ने प्राण खोए हैं,किसी का लाल खोया है।
लुटी बच्चों ,कि है बचपन,सुहागिन माँग सूनी की,
भुलाई चैन कितनों ने,किसी की नींद छीनी है।
सरल देना ,यहाँ भाषण,लगे आसान भी नारे,
मुसीबत तब,यहाँ होती,लहु माँगे,अगर धरती।
अहित ना देश का करना,भले हो पेट भी परती।।

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