Autumn वो खत
वो खत भीग रहे हैं,
कोई उसे बचा भी लो,
लौट नहीं सकता प्रेमी उसका,
मझधार में प्रेमिका रहने दो,
खुदा या प्रेमी पहुचेंगे,
वो खत भीग रहे हैं,
कोई उसे भी बचा भी लो,
प्रेमिका को बचा लिया ,
तो प्रेमी रूठ जायेगा,
खत भीग गए समंदर में,
वो आधार गुजर जायेगा,
खत नहीं मोहब्बत की दुनिया हैं,
आज भीग गए फिर लिख नहीं पायेंगे,
मोबाइलों का दौर हैं प्यारे,
वो प्रेमी कहां से लायेंगे??
©CHANDRAVEER GARG
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