दर्द की सिसकियों को छुपा के रखो याद की हिचकियों को | हिंदी Shayari

"दर्द की सिसकियों को छुपा के रखो याद की हिचकियों को छुपा के रखो इश्क़ ही हैं जो करतीं अभी भी यहाँ यार उन लड़कियों को छुपा के रखो। ऋषभ वर्मा ©Hrishabh"

 दर्द की सिसकियों को छुपा के रखो
याद की हिचकियों को छुपा के रखो
इश्क़ ही हैं जो करतीं अभी भी यहाँ
यार उन लड़कियों को छुपा के रखो।

ऋषभ वर्मा

©Hrishabh

दर्द की सिसकियों को छुपा के रखो याद की हिचकियों को छुपा के रखो इश्क़ ही हैं जो करतीं अभी भी यहाँ यार उन लड़कियों को छुपा के रखो। ऋषभ वर्मा ©Hrishabh

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