हक़ीक़त खुद अपने दिल के | हिंदी विचार

"हक़ीक़त खुद अपने दिल के आईने में देखो ..,,, किसी औऱ. की सूरत पे तुम क्या ताकते हो .....,,, बस मोहरे हो तुम इस खेल में .......,,,, अपना वज़ूद तुम किस्में झाँकतें हो .........,,,,, ग़ुम ना हो जाना तुम कहीं देखो ......,,,,.. इन् अन्धेरो में परछाई तुम क्यों मापतें हो .......,,, बिखर जाओगे तुम ताश के पत्तों की तरह.......,,,.इन् पत्थरों पे तुम खुद का आशियाना क्यों तलाशतें हो ....!!!!!!!!!.. ©Natrajan"

 हक़ीक़त       खुद       अपने       दिल      के      आईने     में     देखो ..,,,  किसी   औऱ.     की      सूरत      पे      तुम      क्या     ताकते     हो .....,,, बस      मोहरे       हो      तुम      इस      खेल      में  .......,,,, अपना         वज़ूद      तुम      किस्में         झाँकतें       हो .........,,,,,  ग़ुम      ना      हो      जाना      तुम      कहीं       देखो ......,,,,..  इन्       अन्धेरो      में      परछाई       तुम       क्यों       मापतें       हो .......,,, बिखर        जाओगे       तुम        ताश      के      पत्तों      की       तरह.......,,,.इन्        पत्थरों       पे       तुम       खुद      का      आशियाना       क्यों        तलाशतें        हो ....!!!!!!!!!..

©Natrajan

हक़ीक़त खुद अपने दिल के आईने में देखो ..,,, किसी औऱ. की सूरत पे तुम क्या ताकते हो .....,,, बस मोहरे हो तुम इस खेल में .......,,,, अपना वज़ूद तुम किस्में झाँकतें हो .........,,,,, ग़ुम ना हो जाना तुम कहीं देखो ......,,,,.. इन् अन्धेरो में परछाई तुम क्यों मापतें हो .......,,, बिखर जाओगे तुम ताश के पत्तों की तरह.......,,,.इन् पत्थरों पे तुम खुद का आशियाना क्यों तलाशतें हो ....!!!!!!!!!.. ©Natrajan

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