दौलत व ताक़त का गुरुर है या फिर हुस्न व शबाब का अज

"दौलत व ताक़त का गुरुर है या फिर हुस्न व शबाब का अजी चार दिन की ज़िन्दगी है इन चारों जनाब का अरे अहमक़ दौलत का नशा और गुरूर ने क्या तुझे अक़्ल का मारा बना दिया कि तू ये भी भूल गया कि मदफ़न एक ही जैसा होता है चाहे फ़क़ीर का हो या फिर हो नवाब का मो. इक्साद अंसारी"

 दौलत व ताक़त का गुरुर है या फिर हुस्न व शबाब का
अजी चार दिन की ज़िन्दगी है इन चारों जनाब का
अरे अहमक़ दौलत का नशा और गुरूर ने क्या तुझे अक़्ल का मारा बना दिया
कि तू ये भी भूल गया कि मदफ़न एक ही जैसा होता है चाहे फ़क़ीर का हो या फिर हो नवाब का
मो. इक्साद अंसारी

दौलत व ताक़त का गुरुर है या फिर हुस्न व शबाब का अजी चार दिन की ज़िन्दगी है इन चारों जनाब का अरे अहमक़ दौलत का नशा और गुरूर ने क्या तुझे अक़्ल का मारा बना दिया कि तू ये भी भूल गया कि मदफ़न एक ही जैसा होता है चाहे फ़क़ीर का हो या फिर हो नवाब का मो. इक्साद अंसारी

MD Iksad Ansari

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