किस रिश्ते से बंधी हो तुम मुझसे
मुझे तो उस रिश्ते का नाम तक नहीं पता
मगर इतना पता है
तुम किसी भी रिश्ते में हो मेरे साथ
वो बहुत खूबसरत रिश्ता है
ऐसा रिश्ता
जिसमें न कोई स्वार्थ
न कोई उमीद
और न ही कोई अधिकार
हम क्यों साथ हैं
क्यों हम बातें बांट लेते हैं
तुम्हारे साथ कुछ सही - गलत हुआ तो तुमने मेरे
साथ बांट लिया
और मेरे साथ हुआ तो मैंने तुम्हारे साथ
हम आपस में बंटे हुए ज़रूर हैं
मगर फिर भी कहीं न कहीं एक हैं
यूं अलग- अलग होकर हमारा एक होना
दूर-दूर रहकर कहीं पास रहने का अहसास
यही हमारे रिश्ते की अनमोल धरोहर है
जिसे हम अंत समय तक संजोए रखेंगे !
©Aryan Sharma
#Sa