White ग़ज़ल :- हाथ आते नही निवाले हैं । दाने-दाने के | हिंदी शायरी

"White ग़ज़ल :- हाथ आते नही निवाले हैं । दाने-दाने के अब तो लाले हैं ।।१ आज बाज़ार हो गये मँहगें । रूल सरकार के निराले हैं ।।२ किसलिए आप खोजते इंसा । भेड़िये आप हमने पाले हैं ।।३ आप जिनपे किए यकीं बैठे । लोग दिल के वो कितने काले हैं ।।४ सच के होते नही नुमाये भी। इस लिए सब लगाये ताले हैं ।।५ खामियां पा दहेज में अब वह । पगडिय़ां देख लो उछाले हैं ।।६ राम के नाम से यहाँ सब ही । पा रहे आज सब  उजाले हैं ।।७ राम का नाम ही भजो सारे । क्या हुआ जो जुबाँ पे छाले हैं ।।८ चोट खाकर प्रखर वफ़ा में भी । दिल को अपने अभी सँभाले हैं ।।९ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR"

 White ग़ज़ल :-
हाथ आते नही निवाले हैं ।
दाने-दाने के अब तो लाले हैं ।।१
आज बाज़ार हो गये मँहगें ।
रूल सरकार के निराले हैं ।।२
किसलिए आप खोजते इंसा ।
भेड़िये आप हमने पाले हैं ।।३
आप जिनपे किए यकीं बैठे ।
लोग दिल के वो कितने काले हैं ।।४
सच के होते नही नुमाये भी।
इस लिए सब लगाये ताले हैं ।।५
खामियां पा दहेज में अब वह ।
पगडिय़ां देख लो उछाले हैं ।।६
राम के नाम से यहाँ सब ही ।
पा रहे आज सब  उजाले हैं ।।७
राम का नाम ही भजो सारे ।
क्या हुआ जो जुबाँ पे छाले हैं ।।८
चोट खाकर प्रखर वफ़ा में भी ।
दिल को अपने अभी सँभाले हैं ।।९
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

White ग़ज़ल :- हाथ आते नही निवाले हैं । दाने-दाने के अब तो लाले हैं ।।१ आज बाज़ार हो गये मँहगें । रूल सरकार के निराले हैं ।।२ किसलिए आप खोजते इंसा । भेड़िये आप हमने पाले हैं ।।३ आप जिनपे किए यकीं बैठे । लोग दिल के वो कितने काले हैं ।।४ सच के होते नही नुमाये भी। इस लिए सब लगाये ताले हैं ।।५ खामियां पा दहेज में अब वह । पगडिय़ां देख लो उछाले हैं ।।६ राम के नाम से यहाँ सब ही । पा रहे आज सब  उजाले हैं ।।७ राम का नाम ही भजो सारे । क्या हुआ जो जुबाँ पे छाले हैं ।।८ चोट खाकर प्रखर वफ़ा में भी । दिल को अपने अभी सँभाले हैं ।।९ महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :-
हाथ आते नही निवाले हैं ।
दाने-दाने के अब तो लाले हैं ।।१
आज बाज़ार हो गये मँहगें ।
रूल सरकार के निराले हैं ।।२
किसलिए आप खोजते इंसा ।
भेड़िये आप हमने पाले हैं ।।३
आप जिनपे किए यकीं बैठे ।

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