अन्धेरा रात का साया हैं सुबह.तक ढ़ल ही जाएगा हमें | हिंदी शायरी
"अन्धेरा रात का साया हैं
सुबह.तक ढ़ल ही जाएगा
हमें यकी हें हमारा भी
जरूर सुनेहरा कल आएगा
कर लो बेशक हर.....
जुल्मों सितम बेकसूर मासूमो पर.
तुम्हारा दिन हे हमारा तो वक्त आएगा।"
अन्धेरा रात का साया हैं
सुबह.तक ढ़ल ही जाएगा
हमें यकी हें हमारा भी
जरूर सुनेहरा कल आएगा
कर लो बेशक हर.....
जुल्मों सितम बेकसूर मासूमो पर.
तुम्हारा दिन हे हमारा तो वक्त आएगा।