ये कैसी उदासी फ़लक में बसर है सितारों, कहो चाँद मे

"ये कैसी उदासी फ़लक में बसर है सितारों, कहो चाँद मेरा किधर है न जाने बेचैनी ये, क्यों हो रही है मेरी जाँ यकीनन बड़ी बे-ख़बर है कभी तो मिरे पास भी चाँद आये बताये भला, दूर क्यूँ इस कदर है जिधर से ये संगीत सा आ रहा है पुकारा हमीं ने, तुम्हें जाँ उधर है ये किस्सा वफ़ा का रहेगा हमेशा कहानी हमारी, कहाँ मुख़्तसर है"

 ये कैसी उदासी फ़लक में बसर है
सितारों, कहो चाँद मेरा  किधर है

न जाने  बेचैनी ये, क्यों हो रही है
मेरी जाँ यकीनन बड़ी बे-ख़बर है

कभी तो मिरे पास भी चाँद आये
बताये भला, दूर क्यूँ इस कदर है

जिधर से ये संगीत सा आ रहा है
पुकारा हमीं ने, तुम्हें जाँ  उधर है

ये किस्सा वफ़ा का रहेगा हमेशा
कहानी हमारी, कहाँ मुख़्तसर है

ये कैसी उदासी फ़लक में बसर है सितारों, कहो चाँद मेरा किधर है न जाने बेचैनी ये, क्यों हो रही है मेरी जाँ यकीनन बड़ी बे-ख़बर है कभी तो मिरे पास भी चाँद आये बताये भला, दूर क्यूँ इस कदर है जिधर से ये संगीत सा आ रहा है पुकारा हमीं ने, तुम्हें जाँ उधर है ये किस्सा वफ़ा का रहेगा हमेशा कहानी हमारी, कहाँ मुख़्तसर है

★★★ ग़ज़ल ★★★
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सितारों, कहो चाँद मेरा किधर है

~ अविनाश कर्ण
@1909avinash

वज़्न ~ 122 122 122 122

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