ये कैसी उदासी फ़लक में बसर है
सितारों, कहो चाँद मेरा किधर है
न जाने बेचैनी ये, क्यों हो रही है
मेरी जाँ यकीनन बड़ी बे-ख़बर है
कभी तो मिरे पास भी चाँद आये
बताये भला, दूर क्यूँ इस कदर है
जिधर से ये संगीत सा आ रहा है
पुकारा हमीं ने, तुम्हें जाँ उधर है
ये किस्सा वफ़ा का रहेगा हमेशा
कहानी हमारी, कहाँ मुख़्तसर है
★★★ ग़ज़ल ★★★
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सितारों, कहो चाँद मेरा किधर है
~ अविनाश कर्ण
@1909avinash
वज़्न ~ 122 122 122 122